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A tectonic shift in our understanding of the India-Asia collision

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  भारत एशिया टकराव के बारे में हमारी समझ में विवर्तनिक बदलाव        नया संशोधन हमारी इस समझ में बदलाव ला सकती है कि कैसे लाखों साल पहले प्लेट्स की हिलचाल ने महाद्वीप बनाए।      चीन के अध्ययन से पता चलता है कि लाखों साल पहले भारत (India) आज से दोगुना बड़ा था, लेकिन यह तिबेटीयन उच्च स्थल के नीचे दब गया और उपर बढ़ गया।      पृथ्वी की सतह जैसी आज है, हमेशा से वैसी नहीं रही। सैंकड़ों साल पहले सिर्फ दो महाद्वीप थे: लऔरएशइयआ और गोंडवाना।      महाद्वीप और समुद्री खड़क जिसने पृथ्वी की पपड़ी या लिथोस्फेयर बनाया, जो मोल्टेन रोक के उपर है उसे मेल्टन आच्छादन कहते हैं, और यह बहुत ही धीमी गति से खिसकती है। वर्तमान भारत उपमहाद्वीप वास्तव मे गोंडवाना का भाग है, जो करीबन 150 साल पहले इन्डियन प्लेट, एशियन प्लेट के साथ टकराव हुआ, जिससे हिमालय का निर्माण हुआ यह माना जाता है।     हम जानते है कि इस प्रक्रिया के दौरान भारतीय प्लेट के एक हिस्से ने हिमालय के नीचे तिबेटीयन पठार को अपने अधीन कर लिया। इसके बावजूद इस गुम हुए हिस्से का कद के भाग को ग्रेटर इन्डिया कहा जाता है, अनिश्चित बना हुआ है।      अब नए संशोधन म

विश्व की बर्फ 1990 से पॉंच गुना तेजी से पिघल रही है।

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  विश्व की बर्फ 1990 से पॉंच गुना तेजी से पिघल रही है।  संशोधनकारो का कहना है, ध्रुवीय बर्फ अद्वितीय दर से पिघल रही है, और इस वजह से सम्न्दर के स्तर मे एक् चौथाई बढोतरी हो रही है। अर्थ सिस्टम साइंस डेटा मे प्रकाशित हुए आॉंकडे बताते है कि 1990 से पॉंच गुना बर्फ़ के पिघलने मे बढोतरी हुई है, और् इस अन्तिम दशक मे सात साल बहुत ही खराब घटित हुए है। दझनो संस्थाओ काम संकलन जिसे IMBIE (ICE SHEET MASS BALANCE INTERCOMPARISION EXERCISE) से जाना जाता है, उनके बीच के सहयोगसे एक दायके से लम्बे समयसे चल रहे संशोधन के द्वारा  50 उपग्रहो द्वारा एन्टार्कटिका और ग्रीनलेन्ड के 1992 और 2020 के बीच मे बर्फ की। मात्रा मे कमी पर सर्वेक्षण किया। गया। उस समय के दौरान, 7500 बिलियन टन से भी ज्यादा बर्फ दोनो लोकेशन मे अद्रश्य पाई गई। यह उस बर्फ की। मात्रा के बारे मे है, जो 20 घन किमी के बर्फ के टुकडे मे समा पाती । "उपग्रहों के रेकर्ड के अनुसार ग्रीनलेन्ड और एन्टार्कटिका मे बर्फ मे घाटा तेजी से बढ रहा है, जिसका आज के समन्दर के स्तर मे वृद्धि काम मुख्य योगदान है।" Leeds university, UK के लीड संशोधन कर डॉ़.