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Showing posts from January, 2017

Milky way Galaxy's mass is recalculated

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मिल्की वे  आकाशगंगा का नई तकनीक से फिर से उसका  द्रव्यमान मापन, और वह बड़ा पाया गया । आकाशगंगा का मनोहर सर्पिल रचना जो NASA के स्पिट्जर अवकाशीय टेलिस्कोप से ली गयी है। मिल्की वे आकाशगंगा का नया द्रव्यमान मापन 9.5×10^41 किग्रा (950,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000 95 के पीछे 40 झीरो) , अतः इसका द्रव्यमान हमारे सूरज के द्रव्यमान से 4.8×10^11 गुना है।  यह संसोधन ग्वेन्डोलीन एड़ी के द्वारा एमसी मास्टर यूनिवर्सिटी, कनाडा से किया गया था। मिल्की वे आकाशगंगा का फिर से द्रव्यमान नापे जाने की जान अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी , ग्रेप्वाईन की विंटर मीटिंग में एड़ी के द्वारा की गई थी। संसोधनकारो ने बायेसीयन एनालिसिस का उपयोग करके एक संख्या तक पहुचे है। बाएसीयन एनालिसिस अंकगणित का प्रकार है, जो अज्ञात अवयव , संभावना के प्रश्नों का उत्तर देता है।  संसोधनकारो ने गोलाकार क्लस्टर  ( जो सितारों का संग्रहीत गोलीय भाग है , जो उपग्रह की तरह आकाशगंगा के अंतर्भाग के आसपास कक्षा में घूमता है ) का सीधा मापन किया। अवकाशीय वैज्ञानिक पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण के खिंचाव के द्वार

How optical telescopes see the universe

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🔭🔭🔭ऑप्टिकल टेलिस्कोप ब्रह्माण्ड को कैसे देखते है?🔭🔭🔭 हबल स्पेस टेलिस्कोप कई हजारो साल के लिए, खोगोलशास्त्री रात के आकाश के अवलोकन करने के लिए मर्यादित थे- मगर टेलिस्कोप के अविष्कार से इसमें बदलाव आया है। यह कैसे काम करता है इसके बारे में जेक पोर्ट ने वर्णन किया है। जेक पोर्ट- कॉसमॉस  का वर्णन करने  में मददगार NASA के हबल स्पेस टेलिस्कोप ने ब्रह्माण्ड के मुख की बहुत सी तस्वीरों को झपटा है: जिसमे से एक है आइकोनिक पिलर्स ऑफ़ क्रिएशन ।   आइकोनिक पिलर्स ऑफ़ क्रिएशन प्रकाशीय टेलिस्कोप के द्वारा ईगल नेब्यूला के विस्तार में, करीबन 7000 प्रकाशवर्ष दूर , अनावरित, तीन, ठन्डे वायु के  अल्ट्रावायलेट प्रकाश में डूबे हुए प्रचंड, अपरिपक्व, भारी तारो के तीन कॉलम्स की 1995 में तस्वीरे ली  गई।  हबल स्पेस टेलिस्कोप ऐसी विस्मयकारक तस्वीरो को अपने कैमरे मे कैसे कैद करता है? यह उछाले हुए और झुकते हुए प्रकाश का संक्षेपण करता है। टेलिस्कोप किस तरह अलग अलग वेवलेंथ की प्रकाश की किरणों को नियंत्रित करता है इसे स्पष्टरूप से विस्तार कर सकता है। यह ब्लॉग प्रकाशीय

ग्रीन हाउस असर

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छोटे  अवधि के ग्रीन हाउस वायु लंबे अवधि के तक समुद्री स्तर को बढ़ा सकते है । मीथेन और दूसरे वायु 10 साल के समय में चिरस्थायी समुद्री स्तर में बदलाव ला सकता है, समुद्र की गर्मी को संग्रह करने की सक्षमता धन्यवाद के पात्र है। टापू देश टुवालु - अपने सबसे ऊंचे बिंदु से समुद्री स्तर केवल 5 मीटर की ऊंचाई पे है - जो वातावरणीय बदलाव के कारण अदृश्य होने वाला पहला देश होगा- नए नमूने की बनावट दिखाता है कि अपेक्षाकृत तेजी से ग्रीनहाउस वायु को नष्ट करने से भी लंबे सालो तक समुद्री स्तर पर असर होगा। यदि हम वातावरण में ग्रीन हाउस वायु को फैलाना बंद कर दे , उसके बाद भी सो सालो तक समुद्री स्तर बढ़ता रहेगा। और वह सिर्फ कार्बन डायॉक्साइड नहीं, जो लंबे समय से सालो से वातावरण में मौजूद है, जो दोषी पाया गया है। कई वायु जैसे की मीथेन और क्लोरोफ्लोरोकार्बन का उत्सर्जन , जो साल के दशक में नष्ट हो जायेंगे, वे भी इस असर को बढ़ाने में बड़ी भूमिका दर्शाता है, एसा प्रतिरूपण के द्वारा दिखाया गया है।  कनाडा के साइमन फ्रेसर यूनिवर्सिटी से किरस्टेंन ज़िकफेल्ड और मेसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़

ISRO वर्ल्ड रिकॉर्ड

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ISRO बनायेगा वर्ल्ड रेकॉर्ड इंडियन स्पेस एजेंसी ISRO  अपना वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की तैयारी कर रहा है। जी हां, ISRO की पिछले कुछ सालों की सफलता आसमान को छू रही है। भारत शुरुआत में अवकाशीय संसोधन में बहुत पीछे था। लेकिन डॉ. विक्रम साराभाई, डॉ. या. पी. जे. अब्दुल कलाम, डॉ. ब्रह्मप्रकाश , वी. एस. नारायण , प्रो. सतीश धवन जैसे कई वैज्ञानिक और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जैसे कई लोगो के अथाक परिश्रम से आज भारत भी अपने आपको साबित करने में पीछे नहीं। जिसमे ISRO का बहुत बड़ा योगदान है।  कुछ महीने पहले ISRO के चेयरमैन श्री ऐ. एस. किरण कुमार ने यह खबर दुनिया के सामने राखी यही की 2017 के जनवरी माह के शुरुआत में ISRO 83 सैटेलाइट्स एक राकेट से पृथ्वी की कक्षा में प्रक्षेपित करेगा और वो भी एक बार में। जो वर्ल्ड रिकॉर्ड बन जायेगा। जिसमे से 3 बड़े उपग्रह भारत के और बाकि के 80 विदेशी उपग्रह जो नैनो सैटेलाइट्स रहेंगे। पर अब ISRO से यह खबर मिली है कि जो 83 सैटेलाइट्स जनवरी में भेजने वाले थे अब उसे फरवरी के पहले सप्ताह में भेजे जाएंगे और वो भी 20 और सैटेलाइट्स के साथ। मतलब 103 उपग्रह एक ही बार में एक