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Showing posts from 2017

Dispersion of light in hindi

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प्रकाश का वर्ण विक्षेपण       बारिश का मौसम किसे पसंद नहीं? बच्चों को तो बारिश में भीगने का मौका चाहिए।  चलो जब सुबह सुबह या शाम के वख्त आसमान में बादल हो लेकिन बारिश न हो  तब आसमान की ओर नजर की है क्या? ऐसा क्या है जो सब को पसंद आता है? खास कर बच्चों को। सब के पास एक ही जवाब होगा- मेघधनुष। है न?  मजा आता है रंगों से बने इस सुन्दर नज़ारे को देखने का! कितना सुन्दर होता है न! कितने रंग होते है? सात।  लाल नारंगी पीला हरा आसमानी नीला नीला जामुनी   लेकिन सवाल यह उठता है कि ये रंग आसमान में आये कहाँ से? आसमान में इसका कोई स्त्रोत तो दिख नहीं रहा। तो फिर ये मेघधनुष्य बना कैसे??🤔🤔🤔🤔🤔 चलो इसके बारे में समझते है। क्या आपने बिल्कुल इसी तरह सात रंगों को कहीँ और देखा है? जरूर स्कूल में उस चीज से खेलते होंगे। याद आया? प्लास्टिक की scale। जब स्केल से ट्यूब लाइट की ओर देखते है तभी भी यही सात रंग दिखाई देते है। आप सब बचपन में खेले होंगे। है न?  चलो अब जानते है एसा क्यों होता है। उससे पहले एक उदाहरण लेते है। सोचो की एक गेंद तेज रफ़्तार से किसी समतल पर सीधी रेखा में आ रही है। इस

Doppler effect in hindi

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डॉप्लर इफ़ेक्ट डोपलर इफ़ेक्ट ध्वनि की आवृत्ति और तरंगलंबाई में बदलाव है। जो वस्तु इस तरंग का सर्जन करती है और जो वस्तु इसे सुनती है, या इस तरंग का मापन करती हैं दो वस्तु के बीच का अंतर में बदलाव, इसका कारण है। डोपलर इफ़ेक्ट यह समझाती है किसी भी ध्वनि उत्सर्जन करने वाली चीज अवलोकनकार से दूर या करीब होने पर अवलोकनकार उसकी आवाज में फर्क क्यों सुनता है। डोपलर इफ़ेक्ट इस टॉपिक का भी वर्णन करता है कि कोई पदार्थ तेजी से हमारे करीब आता है तब उसका रंग ब्लू से रेड में शिफ्ट होता क्यों दिखाई देता है।  जैसे की आसमान सुबह के और शाम के समय लाल रंग का दिखाई देता है और सुबह और शाम के समय के बीच नीला दिखाई देता है। हम यहाँ ध्वनि के उदाहरण से डोपलर इफ़ेक्ट समझेंगे।  डोपलर इफ़ेक्ट कोई अवलोकनकार जो तरंग के स्त्रोत के सापेक्ष में गतिमान है उसके लिए तरंग की आवृत्ति में बदलाव है। यह शब्द इटालियन भौतिकशास्त्री क्रिस्चन डोपलर के नाम से लिया गया है। जिन्होंने 1842 में इस घटना का वर्णन किया था।  क्रिस्चियन एंड्रेस डोपलर का जन्म 29 नवम्बर, 1803 के दिन साल्जबर्ग, ऑस्ट्रिया में  हुआ था। वह जब अपनी

A planet carves through the dust around a distant star in hindi

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एक दूरस्थ तारे के आसपास एक ग्रह धूल को तराश रहा है। गर्म तारा V1247 ओरिओन्स   एक गर्म युवान तारे के आसपास रिंग में धूल का बना डार्क पट्टा ग्रह के मार्ग को दर्शाता है।         यह इमेज ALMA ( अटाकामा लार्ज मिलीमीटर/सबमिलीमीटर ऐरे ) से ली गई है। जो गर्म तारा V1247, ओरियन्स को दर्शाता है। जिसके आसपास वायु और धूल की डायनामिक रिंग है। जिसे सरकमस्टेलर डिस्क के नाम से जाना जाता है।  यहाँ इस डिस्क को दो पार्ट में देख सकते है। एक जो साफ साफ देख सकते है द्रव्य से बनी सेंट्रल (मध्यस्थ) रिंग और एक बहोत ही नाजुक वर्धमान संरचना बहार की ओर दिखाई दे रही है।  रिंग और बढ़ाव के बीच का विस्तार डार्क पट्टे की तरह दिखाई दे रहा है, इसके बारे में यह माना जाता है कि यह एक ग्रह डिस्क के मार्ग पर तराश रहा है।  जैसे की एक ग्रह अपने पैरेंट स्टार के आसपास परिक्रमा करता है, उसकी गति शायद उस जगह पर हाई प्रेशर का सर्जन करता है। बिलकुल उसी तरह जैसे एक शिप (जहाज) पानी को काटते वख्त उसमे लहर उत्पन्न करता है। यह हाई प्रेशर का विस्तार ग्रह के निर्माण में रक्षात्मक अवरोध बन सकता है। धूल

क्वॉन्टम भौतिकी

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क्वॉन्टम् भौतिकी           क्वॉन्टम्  मिकैनिक्स के नए पेपर्स हर वख्त दुनिया को चौकाने वाले होते है। भौतिक शास्त्री कैथेल ओ'कनैल ने कुछ हक्का बक्का कर देने वाली प्राइमर प्रदान की, मगर बड़े संकल्पों के साथ।  ◆ क्या क्वॉन्टम् भौतिकी आपका दिमाग घुमा देती है?  ~ सबसे पहले आपसे यह कहना चाहूंगी कि आप हलचल मत मचाये। आप इस उलझन में अकेले नहीं हो। प्रसिद्ध भौतिकशास्त्री रिचार्ड फेयनमेन कहते थे की, "मुझे लगता है मैं इस बारे में पक्का कह सकता हु की कोई भी व्यक्ति क्वांटम मिकैनिक्स को नहीं समझ सकता।" फिर भी क्वोन्टम थ्योरी को हमारी दुनिया के मदोन्मत्त ने व्यापक रूप से इसका वर्णन किया है।  ◆ क्वोन्टम थ्योरी क्या है ? ~ हजारो सालो के तर्क के बाद हम यह जान पाए है कि पदार्थ छोटे छोटे कणों से बना है। जिसे हम इलेक्ट्रोन्स और क्वार्कस के नाम से जानते है। यह कण एक दूसरे के साथ मिलकर एक अणु बनाते है। जैसे की हाइड्रोजन और ऑक्सीजन मिलकर H2O का अणु बनाते है । जिसे हम पानी कहते है। इस तरह इन छोटे छोटे कणों के वर्णन को वैज्ञानिक इसे क्वांटम थ्योरी का नाम देते है।    यह थ्

Curved space geometry in hindi

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अवकाश वक्र भूमिति * बाहरी और आतंरिक वक्र(मुड़ाव) कल्पना कीजिए की एक कीटाणु साबुन के बुलबुले के पतले से कवच के भीतर है। हम यह देख सकते है कि साबुन का बुलबुला गोलीय है , न की सपाट। क्योंकि वह हमारे सपाट 3D अवकाश में समाया है जिसमे वह नापा जा सकता है। दूसरी ओर कीटाणु यह समजता है कि वह 2D अवकाश में है। किसी भी बिंदु से वह 2 लंब दिशाओं में से वह कोई एक दिशा में जा सकता है। उसके लिए दिशा सिर्फ उस बुलबुले के भीतर है, उसके बहार का कुछ भी अस्तित्व नहीं है। लेकिन कीटाणु फिर भी यह अवलोकन कर सकता है कि उसका 2D अवकाश समतल नहीं है। दो समान्तर रेखाए कुछ अंतराल पर कोण की रचना करेगी और कोण का योग भी 180° से ज्यादा होगा। यह इसीलिए होता है क्योंकि बुलबुला भीतर से ही वक्र है। अगर उसकी दुनिया का आकार नलाकार होगा तो भी वह यह कहने को सक्षम नहीं होगा की वह वक्र है।  इस तथ्य से दूर , बड़े लंबे रस्ते पर आगे सीधा जाते हुए उसे आश्चर्यजनक रूप से एक जानामाना बिंदु मिलेगा, वो अपनी दुनिया की भूमिति को नहीं देख सकेगा जो समतल 2D भूमिति से बिलकुल अलग है।  एक नलाकर सिर्फ अत्यंत वक्र है।  जब हम अपने 3D अवकाश य

18 years old student made lightest satellite which will be launched by NASA

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१८ साल के छोटे रिफत ने बनाया दुनिया  का सबसे छोटा सैटेलाइट, जिसे  NASA करेगा लांच कलामसैट तमिलनाडु के पल्लापट्टी के रहने वाले 18 साल के रिफत शारुक ने एक नया कीर्तिमान बनाया है. महज 18 साल की उम्र में रिफत ने दुनिया का सबसे हल्का सैटेलाइट बनाया है. इस सैटेलाइट का वजन 64 ग्राम से भी कम है. इस नौजवान के बनाए हुए सैटेलाइट का नाम है- कलामसैट. रिफत ने इस सैटेलाइट का नाम भारत के पूर्व राष्ट्रपति और वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रखा है. इस सैटेलाइट को नासा 21 जून को लॉन्च करेगा.  द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक यह किसी भी भारतीय छात्र का बनाया हुआ पहला सैटेलाइट होगा, जिसे नासा लॉन्च करेगा. रिफत ने कहा, ”सैटेलाइट का मुख्य काम थ्रीडी प्रिंटेड कार्बन फाइबर की क्षमता को डेमोनस्ट्रेट करना है.” रिफत ने बताया कि यह सैटेलाइट रेनफोर्स्ड कार्बन फाइवर पॉलीमर से बना हुआ है. उन्होंने कहा, ”हमने कुछ कंपोनेंट्स विदेश से प्राप्त किए और कुछ घरेलू हैं. रिफत के बनाए इस नायाब सैटेलाइट को ‘क्युब्स इन स्पेस’ नाम की प्रतियोगिता के माध्यम से चुना गया. यह प्रतियोगिता नासा और आई डूडल लर्निंग संस

Biography of Sir A. P. J. Abdul Kalaam in hindi

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सर ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का जीवन वृतांत जन्म: 15 अक्टूबर, 1931 अवसान : 27 जुलाई  2015       मेरी कहानी भले ही किसी ओर चीज के बारे में न हो, लेकिन यह एक व्यक्तिगत लक्ष्य को बताती है, जिसे पारंपरिक सामाजिक ढांचे से अलग नहीं देखा जा सकता। मैंने उन व्यक्तियो के बारे में लिखना शुरू किया जिसने मेरे जीवन पर गहरा प्रभाव डाला।  इस के माध्यम से मैं अपने माता पिता, परिवार तथा शिक्षकों व गुरुओं को श्रद्धा -सुमन अर्पित करता हूँ। मैं सौभाग्यशाली हुँ की मुझे अपने छात्र एवं कर्मक्षेत्र में इनका सानिध्य मिला।    यह सिर्फ मेरी सफलता और दुःख की कहानी नहीं है। यह आधुनिक भारत के उन विज्ञान प्रतिष्ठानों की सफलताओं  एवं असफलताओं की भी कहानी है, जो तकनिकी मोरचे पर अपने को स्थापित करने के लिए संघर्ष कर रहे है। यह मेरे युवा साथियो के अपार उत्साह और कोशिशों के प्रति भी सम्मान है जिन्होंने हमारे सपनो को सँजोया और साकार किया। यह हमारे समय की वैज्ञानिक आत्मनिर्भरता एवं प्रौद्योगिकी दक्षता हासिल करने के लिए भारत के प्रयासों की गाथा है।  हम सब अपने भीतर एक पवित्र अग्नि के साथ जन्मे  है।

What is light?

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WHAT IS LIGHT? प्रकाश क्या है? आप सबने यह सुना होगा कि प्रकाश एक विधुतचुम्बकीय तरंग है अथवा वह फोटोन से बना हुआ है। पर इन सबका अर्थ क्या है? हकीकत में प्रकाश क्या है? कल्पना कीजिये की आप एक बगीचे में हो, एक वृक्ष की शाखा के हरे पत्ते की ओर देख रहे हो। हम जानते है कि प्रकाश पत्तो पर से परावर्तित होने  के बाद आपकी आँख में प्रवेश करती है और बताती है कि वह हरे रंग की है। वास्तव में प्रकाश है क्या?  17 वी सदी मे दो विचार पहले आये: अंग्रेज वैज्ञानिक आइजेक न्यूटन ने बताया कि प्रकाश सुक्ष्म कणो से बना हुआ है ( उन्होंने उसे अति सूक्ष्म कण कहा) जो गर्म पदार्थ ( जैसे की सूर्य या अग्नि) में से उत्सर्जित होता है, जब की उसी समकालीन, डच भौतिकशास्त्री क्रिस्चियन हाइगीन्स ने बताया कि प्रकाश तरंग स्वरुप है, जो तरंग के रूप में ऊपर नीचे कंपित होता हुआ आगे बढ़ता है।  फिर भी , उन मे से किसी के भी पास इस बारे में संकल्पना नहीं थी की प्रकाश वास्तव में क्या है? ( न्यूटन के इस बारे में कोई स्पष्ट विचार नहीं था की प्रकाश कौन से सूक्ष्म कण का स्वरुप है; हाईजीन के पास यह ख्याल नहीं था कि व