Doppler effect in hindi

डॉप्लर इफ़ेक्ट






डोपलर इफ़ेक्ट ध्वनि की आवृत्ति और तरंगलंबाई में बदलाव है। जो वस्तु इस तरंग का सर्जन करती है और जो वस्तु इसे सुनती है, या इस तरंग का मापन करती हैं दो वस्तु के बीच का अंतर में बदलाव, इसका कारण है। डोपलर इफ़ेक्ट यह समझाती है किसी भी ध्वनि उत्सर्जन करने वाली चीज अवलोकनकार से दूर या करीब होने पर अवलोकनकार उसकी आवाज में फर्क क्यों सुनता है। डोपलर इफ़ेक्ट इस टॉपिक का भी वर्णन करता है कि कोई पदार्थ तेजी से हमारे करीब आता है तब उसका रंग ब्लू से रेड में शिफ्ट होता क्यों दिखाई देता है।  जैसे की आसमान सुबह के और शाम के समय लाल रंग का दिखाई देता है और सुबह और शाम के समय के बीच नीला दिखाई देता है। हम यहाँ ध्वनि के उदाहरण से डोपलर इफ़ेक्ट समझेंगे। 

डोपलर इफ़ेक्ट कोई अवलोकनकार जो तरंग के स्त्रोत के सापेक्ष में गतिमान है उसके लिए तरंग की आवृत्ति में बदलाव है। यह शब्द इटालियन भौतिकशास्त्री क्रिस्चन डोपलर के नाम से लिया गया है। जिन्होंने 1842 में इस घटना का वर्णन किया था। 




क्रिस्चियन एंड्रेस डोपलर का जन्म 29 नवम्बर, 1803 के दिन साल्जबर्ग, ऑस्ट्रिया में  हुआ था। वह जब अपनी खुद का संशोधन करते थे तब कॉलेज लेवल पर  गणित और भौतिकविज्ञान  शिखाते थे। डोपलर 1842 के पेपर के 'डोपलर इफ़ेक्ट' के लिए मशहूर थे। वह इटली में लंबे समय की बीमार रहे। और 17 मार्च, 1853 में उनका निधन हुआ।


पहले हम आवृति के बारे में थोड़ा जान लेते है। जब कोई तरंग अपनी साइकिल का श्रृंग से गर्त और गर्त से श्रृंग का 1 चक्कर पुरा करता है तो उसकी आवृति 1 होगी। (श्रृंग और गर्त नीचे आकृति में दर्शाए है।)

डोपलर शिफ्ट समजने के लिए एक उदहारण लेते है। जब एक वाहन हॉर्न बजाता हुआ अवलोकनकार के पास पहुचता है, पसार होता है तब पिच (पिच आवाज की अवधारणात्मक गुणधर्म है, प्रॉपर्टी है जो उसकी आवृति के सम्बंधित माप को क्रमिक करने की इजाजत देती है। ) में बदलाव आता है। उत्सर्जित आवृति से तुलना में प्राप्त आवृति पहुँच के दौरान ज्यादा होगी, लेकिन जब वो दूर जाएगी तो उसकी आवाज न्यूनतम होगी। 




डोपलर इफ़ेक्ट का कारण यह है कि जब तरंग का स्त्रोत अवलोकनकार के करीब आता है, हर अनुक्रमिक तरंग का श्रृंग अवलोकनकार के करीब आता है। इसीलिए हर एक तरंग अवलोकनकार के करीब पहुचने में पहले से थोड़ा सा कम समय लेती है। जिसकी वजह से अवलोकनकार की ओर आने वाला अनुक्रमिक तरंग का श्रृंग का समय कम हो जाएगा, जिसकी  वजह से तरंग की आवृत्ति में बढ़ोतरी होगी। जब वह सफर करते है, तब क्रमिक तरंग के बीच का अंतर कम होता है, इसीलिए तरंगे एक दूसरे के साथ झुण्ड बनाती है। इस से विपरीत जब तरंगो का स्त्रोत अवलोकनकार से दूर जाती है, हर एक तरंग जो अपने स्थान से उत्सर्जित होती है, वो अपने पहले तरंग से दूर जाती है, इसी वजह से क्रमिक तरंगो के पहुँचने का समय बढ़ता है और आवृति कम होती है। क्रमिक तरंगो के अग्रभागों का अंतर बढ़ता है, जिससे तरंग फ़ैल जाती है। 

तरंगो के लिए यह प्रचार सामान्य है, जैसे की ध्वनि तरंग, अवलोकनकार के वेग और स्त्रोत माध्यम पर निर्भर है, कि वह किस माध्यम में से पसार होते है। संपूर्ण डोपलर इफ़ेक्ट शायद इसीलिए स्त्रोत की गति, अवलोकनकार की गति या माध्यम की गति का परिणाम है। जिनमे से हर एक असर को अलग अलग रूप से विश्लेषण किया जाता है। सामान्य सापेक्षवाद के कई तरंग जैसे कि प्रकाश या गुरुत्वाकर्षण जो माध्यम पर निर्भर नहीं है, सिर्फ अवलोकनकार और स्त्रोत के बीच के वेग का तफावत से ही समझा जा शकता है।

जो वस्तु ध्वनि तरंग को उत्पन्न करती है उस वस्तु को 'सेन्डर'शब्द से भी जाना जाता है, और अंतर में बदलाव को 'रफ़्तार' या 'सापेक्ष वेग' से जाना जाता है। इसका एक सामान्य उदाहरण देखते हैं। 

 मान लो की आप एक रेलवे ट्रैक के करीब खड़े है, और दूर से कोई ट्रैन उस ट्रैक पर आपके करीब आ रही है। ट्रैन गति में होने के कारण उसके हॉर्न की ध्वनि की आवृत्ति में बदलाव आता है। जिससे आप यह अनुमान लगा सकते है कि ट्रेन आपके करीब तेजी से आ रही है। 






डोपलर इफ़ेक्ट का उपयोग खास कर के खगोलशास्त्री करते है। वे डोपलर शिफ्ट का उपयोग करके चोक्कस गिनती कर के यह पता लगाते है कि कोई तारा या अन्य कोई अवकाशी पदार्थ कितनी तेजी से पृथ्वी के करीब आ रहा है या दूर जा रहा है। 

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