Difference between Ursa Major & Ursa Minor in hindi
सप्तर्षि ताराजूथ और ध्रुव मत्स्य ताराजूथ के बीच का भेद
हमे रात में आसमान को सुंदर बनाने वाले छोटे छोटे, टिमटिमाते हुए रंग-बि-रंगी सितारों को देखने मे मजा बहुत आता है। खास कर बच्चों को। उनमे कई सितारों को जोड़ कर कई आकृतिया भी बनाते है। सही कहा न!?
School में हमें इन सितारों के बारे में पढाया भी जाता है। इन तारो को बिंदु रूप समझकर उनके बीच काल्पनिक लकीरे खींच कर कुछ आकृतिया बनाई गई थी। जिसे दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलेमी नामक खगोलशास्त्री ने कुछ 48 तारामंडल की सूची बनाई थी। उसके बाद ओर भी तारामंडल का अभ्यास किया गया है।
फिलहाल हम सिर्फ school के लेवल की बात करेंगे। उसके बाद आगे जाएंगे। school में हमे मृग, शर्मिष्ठा, मघा, कृतिका, सप्तर्षि के बारे में पढ़ाया गया है और आज भी पढ़ाया जाता है।
आज भी जब मैं इन नक्षत्रों के बारे में पढ़ाती हु तो कई बार बच्चे हर रोज घर जाकर रात के अंधेरे में खुबसूरत टिमटिमाते हुए तारो को देखते है। लेकिन कई बार बच्चे कहते है हमने दो सप्तर्षि देखे। तो असली सप्तर्षि कौन सा है? फिर सोचा यह दिक्कत कई लोगो को होती होगी। तो क्यों न इस बारे में सब जाने। हमे आसमान में दो सप्तर्षि दिखाई देते है। एक बड़ा और एक छोटा। इन दोनों में से सप्तर्षि कौन सा है???🤔🤔🤔🤔🤔
देखिए इस फोटो को।
ये फोटो मैंने खुद अपने मोबाइल फ़ोन से Star Tracker app की मदद से ली है। सप्तर्षि और ध्रुव मत्स्य ताराजूथ के बीच मे ड्रैको ताराजूथ की लाइन दिख रही है।
इस फोटो में आप दाई ओर सप्तर्षि ताराजूथ और बाई ओर बाई ओर ध्रुव मत्स्य ताराजूथ को देख सकते हो। जिसे आप Ursa Major और Ursa minor के नाम से देख सकते है। जैसा कि आप फ़ोटो देख रहे है सप्तर्षि और ध्रुव मत्स्य मे सात तारे हूबहू एक दूसरे की तरह दिख रहे है। फर्क सिर्फ इतना है कि एक बहोत छोटा है और दूसरा बहुत बड़ा। लेकिन सप्तर्षि ताराजूथ के सितारों को कुछ और तारो के साथ जोड़ते हुए कोई इंसान एक हाथ ऊपर की ओर और दूसरे हाथ को नीचे को नीचे की ओर उंगलिया फैलाये हुए खड़ा हो ऐसा प्रतीत हो रहा है। कुछ ओर करीब से देखते है तो वो कुछ ऐसा दिखाई देता है।
इसे सप्तर्षि ताराजूथ को कुछ लोग ऐसी आकृति से भी जानते है।
सप्तर्षि ताराजूथ में 7 तारे ज्यादा ही चमकीले है। बाकी के आस पास के तारो को जोड़ कुछ ऐसी आकृति प्रतीत होती है। जिसे Great Bear के नाम से भी जाना जाता है।
अब देखते है ध्रुव मत्स्य ताराजूथ के बारे में।
अब हम सप्तर्षि और ऋक्ष के बारेमे थोड़ा और जान लेते है।
School में हमें इन सितारों के बारे में पढाया भी जाता है। इन तारो को बिंदु रूप समझकर उनके बीच काल्पनिक लकीरे खींच कर कुछ आकृतिया बनाई गई थी। जिसे दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलेमी नामक खगोलशास्त्री ने कुछ 48 तारामंडल की सूची बनाई थी। उसके बाद ओर भी तारामंडल का अभ्यास किया गया है।
फिलहाल हम सिर्फ school के लेवल की बात करेंगे। उसके बाद आगे जाएंगे। school में हमे मृग, शर्मिष्ठा, मघा, कृतिका, सप्तर्षि के बारे में पढ़ाया गया है और आज भी पढ़ाया जाता है।
आज भी जब मैं इन नक्षत्रों के बारे में पढ़ाती हु तो कई बार बच्चे हर रोज घर जाकर रात के अंधेरे में खुबसूरत टिमटिमाते हुए तारो को देखते है। लेकिन कई बार बच्चे कहते है हमने दो सप्तर्षि देखे। तो असली सप्तर्षि कौन सा है? फिर सोचा यह दिक्कत कई लोगो को होती होगी। तो क्यों न इस बारे में सब जाने। हमे आसमान में दो सप्तर्षि दिखाई देते है। एक बड़ा और एक छोटा। इन दोनों में से सप्तर्षि कौन सा है???🤔🤔🤔🤔🤔
देखिए इस फोटो को।
ये फोटो मैंने खुद अपने मोबाइल फ़ोन से Star Tracker app की मदद से ली है। सप्तर्षि और ध्रुव मत्स्य ताराजूथ के बीच मे ड्रैको ताराजूथ की लाइन दिख रही है।
इस फोटो में आप दाई ओर सप्तर्षि ताराजूथ और बाई ओर बाई ओर ध्रुव मत्स्य ताराजूथ को देख सकते हो। जिसे आप Ursa Major और Ursa minor के नाम से देख सकते है। जैसा कि आप फ़ोटो देख रहे है सप्तर्षि और ध्रुव मत्स्य मे सात तारे हूबहू एक दूसरे की तरह दिख रहे है। फर्क सिर्फ इतना है कि एक बहोत छोटा है और दूसरा बहुत बड़ा। लेकिन सप्तर्षि ताराजूथ के सितारों को कुछ और तारो के साथ जोड़ते हुए कोई इंसान एक हाथ ऊपर की ओर और दूसरे हाथ को नीचे को नीचे की ओर उंगलिया फैलाये हुए खड़ा हो ऐसा प्रतीत हो रहा है। कुछ ओर करीब से देखते है तो वो कुछ ऐसा दिखाई देता है।
इसे सप्तर्षि ताराजूथ को कुछ लोग ऐसी आकृति से भी जानते है।
सप्तर्षि ताराजूथ में 7 तारे ज्यादा ही चमकीले है। बाकी के आस पास के तारो को जोड़ कुछ ऐसी आकृति प्रतीत होती है। जिसे Great Bear के नाम से भी जाना जाता है।
अब देखते है ध्रुव मत्स्य ताराजूथ के बारे में।
अब हम सप्तर्षि और ऋक्ष के बारेमे थोड़ा और जान लेते है।
सप्तर्षि तराजूथ
जैसे कि हम जानते ही है कि सप्तर्षि तराजूथ में सात तारे है। जिनके नाम भारत / India के सात महान ऋषियो के आधार पर रखे गए है। इसी वजह से इसे संस्कृत में सप्तर्षि कहते है। यह नाम क्रमशः इस प्रकार है - क्रतु, पुलह, पुलत्स्य, अत्रि, अंगिरा, वशिष्ठ तथा मरीचि। यह ताराजूथ पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध (hemisphere) के आकाश में रात्रि को दिखने वाला एक तारामंडल है। इसे फाल्गुन-चैत महीने से श्रावण- भाद्र महीने तक सात तारो के समूह के रूप में देखा जा सकता है। इसमें चार तारे चोकोर तथा तीन तिरछी रेखा में रहते है। इन तारो को काल्पनिक रेखाओ से मिलाने पर एक प्रश्न चिह्न का आकार प्रतीत होता है। यदि आगे के दो तारो को जोड़ने वाली पंक्ति को सीधे उत्तर दिशा में बढ़ाये तो यह ध्रुव तारे पर पहुंचती है। इसे आप इस तस्वीर से ज्यादा अच्छे से समझ सकते है।
दरअसल सप्तर्षि तारामंडल में 93 तारो को बायर नाम दिए जा चुके है, जिनमे से 13 के इर्द गिर्द गैर सौरीय ग्रह (Outer Solar Planet) परिक्रमा करते हुए पाए गए है। इस तारा मंडल के सात मुख्य तारे इस प्रकार है-
नाम अंग्रेजी नाम बायर नाम. दूरी (प्र. व .)
क्रतु Dubhe α Uma 124
पुलह Merak β Uma 79
पुलत्स्य Phecda γ Uma 84
अत्रि Megrez δ Uma 81
अंगिरा Alioth ε Uma 81
वशिष्ठ Mizar ζ Uma 78
मरीचि Alkaid η Uma 101
α - आल्फा
β - बीटा
γ - गामा
δ - डेल्टा
ε - एप्साइलोन
ζ - जीटा
η - ईटा
ये सब ग्रीक स्माल अल्फाबेट्स है।
सप्तर्षि ताराजूथ ध्रुव तारे के आसपास धूमता नजर आता है।
अब आते है ध्रुव मत्स्य की ओर। ये भी बिल्कुल सप्तर्षि की तरह ही दिखाई देता है। चार तारे चोकोर तथा तीन तिरछी रेखा में रहते है। और इन तिरछी रेखाओ का अंतिम तारा ध्रुव तारा है। जो लोगो को रात के समय दिशा जानने में मदद करता है। क्योंकि यह सिर्फ उत्तर दिशामे ही दिखाई देता है।
ध्रुव मत्स्य इतना प्रकाशित नही है कि कोई भी उसे रात्रि आकाश में आसानी से ढूंढ सके। ध्रुव मत्स्य ताराजूथ के तारो का नाम
अब करते है इन दोनों के बीच का भेद का निरीक्षण।वैसे ध्रुव तारा पृथ्वी के किसी भी जगह से उत्तर दिशा में ही दिखाई देता है। क्योकि वह पृथ्वी की धरी की दिशा में उत्तर तरफ है। और इसी वजह से वह दक्षिण गोलार्ध व उसके आसपास के विस्तार से नजर नही आता। लेकिन हां, पृथ्वी के हर देश मे उसका कोण जरूर बदलता है।
सप्तर्षि ताराजूथ बड़ा दिखाई देता है और ध्रुव मत्स्य ताराजूथ सप्तर्षि की तुलना में बहोत ही छोटा नजर आता है। सप्तर्षि ताराजूथ की तिरछी रखा नीचे की ओर मुड़ी हुई होती है और ध्रुव मत्स्य की तिरछी रेखाए ऊपर की ओर दिखाई देती है। सप्तर्षि ताराजूथ बहोत ही चमकीला नजर आता है जब कि ध्रुव मत्स्य उतना चमकीला नही है।
ये थे कुछ भेद जो ध्रुव मत्स्य और सप्तर्षि को एक दूसरे से अलग दिखता है। एक और बात, सप्तर्षि ताराजूथ में वशिष्ठ तारे के बिल्कुल करीब एक और तारा पाया गया है। जिसे ऋषि वशिष्ठ की पत्नी के नाम पर अरुंधती नाम दिया गया है। वशिष्ठ और अरुंधति दोनों तारे एक दूसरे के आसपास घूमते है। अवकाश की यह बात हमारे भारत देश के ऋषिमुनि पहले से ही इस बारे में जानते थे, जब अवकाश में जाने की बात सिर्फ एक सपना था तब से। है न आश्चर्य की बात!!
β - बीटा
γ - गामा
δ - डेल्टा
ε - एप्साइलोन
ζ - जीटा
η - ईटा
ये सब ग्रीक स्माल अल्फाबेट्स है।
ध्रुव मत्स्य ताराजूथ
जैसे कि फ़ोटो में दिखाई दे रहा है पुलह और क्रतु सी सीधी लकीर खीचते है तो वो हमें एक कभी भी अपनी जगह से न हटने वाला तारा ध्रुव की ओर ले जाती है। और यह ध्रुव तारा वही एक और छोटा सप्तर्षि जैसी रचना बनाता है। जिसे ध्रुव मत्स्य ताराजूथ के नाम से जानते है। इसे Ursa Minor भी कहते है। इस ताराजूथ को संस्कृत में ऋक्ष के नाम से भी जाना जाता है।सप्तर्षि ताराजूथ ध्रुव तारे के आसपास धूमता नजर आता है।
ध्रुव मत्स्य इतना प्रकाशित नही है कि कोई भी उसे रात्रि आकाश में आसानी से ढूंढ सके। ध्रुव मत्स्य ताराजूथ के तारो का नाम
अब करते है इन दोनों के बीच का भेद का निरीक्षण।वैसे ध्रुव तारा पृथ्वी के किसी भी जगह से उत्तर दिशा में ही दिखाई देता है। क्योकि वह पृथ्वी की धरी की दिशा में उत्तर तरफ है। और इसी वजह से वह दक्षिण गोलार्ध व उसके आसपास के विस्तार से नजर नही आता। लेकिन हां, पृथ्वी के हर देश मे उसका कोण जरूर बदलता है।
सप्तर्षि ताराजूथ बड़ा दिखाई देता है और ध्रुव मत्स्य ताराजूथ सप्तर्षि की तुलना में बहोत ही छोटा नजर आता है। सप्तर्षि ताराजूथ की तिरछी रखा नीचे की ओर मुड़ी हुई होती है और ध्रुव मत्स्य की तिरछी रेखाए ऊपर की ओर दिखाई देती है। सप्तर्षि ताराजूथ बहोत ही चमकीला नजर आता है जब कि ध्रुव मत्स्य उतना चमकीला नही है।
ये थे कुछ भेद जो ध्रुव मत्स्य और सप्तर्षि को एक दूसरे से अलग दिखता है। एक और बात, सप्तर्षि ताराजूथ में वशिष्ठ तारे के बिल्कुल करीब एक और तारा पाया गया है। जिसे ऋषि वशिष्ठ की पत्नी के नाम पर अरुंधती नाम दिया गया है। वशिष्ठ और अरुंधति दोनों तारे एक दूसरे के आसपास घूमते है। अवकाश की यह बात हमारे भारत देश के ऋषिमुनि पहले से ही इस बारे में जानते थे, जब अवकाश में जाने की बात सिर्फ एक सपना था तब से। है न आश्चर्य की बात!!
धन्यवाद आपका हमारे ज्ञान वर्धन के लिए । अभी कुछ दिनो से सप्तऋषि तारा मण्डल मे एक सात रंग का चमकीला तारा दिखाई देता है वह क्या है
ReplyDeleteमाफ कीजिएगा। अब लाइट पॉल्यूशन इतना ज्यादा बढ़ गया है, की मैं अब सप्तर्षि को ठीक से ऑब्जर्व नही कर पा रही। मेरी आप के सवाल के प्रति कोशिश जारी है। कोशिश करूँगी की आप के सवाल का जवाब दे पाउ। आप का ऑब्जरवेशन वाकई बढ़िया है। शुक्रिया जानकारी देने के लिए।
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