बिना ऑक्सीजन के सूरज कैसे जल रहा है?
बिना ऑक्सीजन के सूरज कैसे जल रहा है?
हम सबने बचपन से ही किसी न किसी चीज को जलते हुए देखा ही है। और school में भी पढ़ाया जाता है कि किसी भी चीज को जलने के लिए तीन चीजे आवश्यक है-
1. ईंधन
2. ऑक्सिजन
3. जरुरी तापमान
कभी न कभी आपके दिमाग में यह सवाल आया होगा की सूरज के पास तो ऑक्सीजन है ही नहीं, फिर भला यह जल कैसे रहा है? वो भी कितने सालो से?🤔🤔🤔
सूरज के पास इतना ईंधन आता कहाँ से है, उसे इतना तापमान कैसे मिला? तो पहले में आपको बता दू की सूरज जल नहीं रहा बल्कि यह वायुओं से बना गोला है। अब भला ये क्या बात हुई? चलो पहले से ही शुरू करते है।
किसी भी चीज का जलना यानी की दहन। दहन एक रासायणिक प्रक्रिया (chemical process) है। एक ऐसी chemical process जिसमे पदार्थ ऑक्सीजन के साथ संयोजित होकर प्रकाश और ऊष्मा उत्पन्न करता है।
जब की सूरज में चलती प्रक्रिया आण्वीय प्रक्रिया है। न्यूक्लियर प्रकिया (process) में दो छोटे/हलके परमाणु मिलकर एक बड़ा/भारी परमाणु बनता है या बड़े परमाणु का छोटे परमाणु में रूपांतरण होता है। जिसके दो प्रकार है।
1. जिसमे दो छोटे परमाणु मिलकर एक नया परमाणु बनता है। जो सूरज और दूसरे सितारों में कई सालो तक चलती है। जिसे न्यूक्लिअर संलयन से जाना जाता है।
2. जिसमे कोई बड़ा परमाणु टूट कर छोटे परमाणु बनते है। जो न्यूक्लिअर बम्ब में होता है। जिसका उदहारण हम जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में आज भी देख रहे है। जिसे न्यूक्लिअर विखंडन से जाना जाता है।
हम यहाँ न्यूक्लिअर संलयन की बात करेंगे। इससे पहले की हम सूरज के अंदर हो रही प्रक्रिया को समझे, पहले हम सूरज के बारे में थोडा जान लेते है।
वैसे तो हम सब जानते है कि सूरज भी एक तारा है। जैसे हम रत के आसमान में कई सारे तारे देखते है बिलकुल उसी तरह। लेकिन सूरज सारे तारो में से सबसे नजदीकी तारा है जिसकी वजह से हम उसे बड़ा पाते है। शायद आपको जानकर हैरानी होगी की सूरज से भी कई बड़े आसमान में है। लेकिन वो हमारी पृथ्वी से बहोत दूर होने के कारण हमें छोटे दिखाई देते है। सूरज और पृथ्वी के बीच की दूरी करीबन 15 करोड़ किलोमीटर है। समग्र सौर मंडल का 99.8 % mass(द्रव्यमान) अकेले सूरज के पास ही है। बाकी के 0.2% में ग्रह, उपग्रह, पुच्छल तारे, लघुग्रह आदि आते है। आप इस जानकारी से ही अंदाज लगा सकते है के हमारा सूर्य कितना भारी है।
सूरज के बारे में और जानकारी के लिए हमें पहले परमाणु के बारे में जानना होगा। परमाणु इस दुनिया का सबसे छोटा कण माना जाता है। जिसे हम अपनी आँखों से, या किसी भी प्रकार के दूरबीन व यन्त्र से नहीं देख पाते। कई वैज्ञानिको के प्रयोगों ने इसका अस्तित्व साबित किया है। जिसमे भीतर में एक छोटा से गोलीय केंद्र होता है। जिसमे धन विजभारित कण होते है जिसे हम प्रोटोन कहते है। उसी परमाणु ऋण विजभारित इलेक्ट्रोन प्रोटोन के आकर्षण के कारण परमाणु केंद्र (nucleus) के आसपास चोक्कस मार्ग पर भ्रमण करते है। इस मार्ग को कक्षा कहते है। केंद्र में जितने प्रोटोन होते है उतने ही इलेक्ट्रोन केंद्र क आसपास भ्रमण करते है।
हम जानते है की सामान विजभार (charge) के बीच अपकर्षण होता है। जिससे दोनों कण एक दूसरे से दूर जाते है। इसीलिए केंद्र में दूसरे प्रोटोन के आने से दोनों प्रोटोन एक दूसरे से दूर जाएंगे। और परमाणु केंद्र में असंतुलन स्थापित होगा। इसीलिए प्रोटोन को जकड़े रखने के लिए केंद्र में न्यूट्रॉन नाम के कण भी होते है। जिसका कोई विजभार नहीं होता।
In short, परमाणु कुछ इस प्रकार का है।
परमाणु के केंद्र में रहे प्रोटोन की संख्या को परमाणु क्रमांक कहते है। परमाणु में प्रोटोन की संख्या उसकी लाक्षणिकता दर्शाता है। यानी की प्रोटोन की संख्या बदलने से तत्व बदल जाएगा।
जैसे की केंद्र में एक प्रोटोन है तो परमाणु क्रमांक 1 होगा। जो हाइड्रोजन (hydrogen) है। केंद्र में एक और प्रोटोन डालने से प्रोटोन की संख्या 2 हो जाएगी। जिससे वो तत्त्व हीलियम (हीलियम) बन जाएगा। एक प्रोटोन और डालने से प्रोटोन की संख्या 3 हो जाएगी। यानी की परमाणु क्रमांक 3 होगा। जिससे वो लिथियम (lithiyum) हो जाएगा। लेकिन जितना हम सोचते है ये उतना आसान नहीं है। इसके लिए ऊँचा तापमान और दबाव चाहिए।
जब प्रोटोन निम्न या कम तापमान और कम वेग से एक दूसरे के नजदीक आते है, तब दोनों प्रोटोन समान विजभारित होने के कारण एक दूसरे से दूर जाते है। यह जो बल इन प्रोटोन को मिलता है वह विधुत चुम्बकीय बल है। लेकिन जब उच्च तापमान और वेग से एक दूसरे के करीब आते है तब परिणाम स्वरुप दोनों अलग अलग परमाणु केंद्र एक हो जाते है। और उससे भारी तत्त्व बनता है। और बहुत ही ज्यादा मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न करता है। जिसे आप नीचे दी गई image से समझ पाओगे।
ड्यूटेरियम और ट्रिटियम हायड्रोजन का समस्थानिक है।
जिन तत्वों के परमाणु में प्रोटोन की संख्या सामान हो लेकिन न्यूट्रॉन की संख्या भिन्न हो उसे समस्थानिक कहते है।
यह process सूरज के भीतर होती है। जिससे hydrojan का helium में रूपांतरण होता है। इस प्रक्रिया में प्रचंड उर्जा उत्पन्न होती है।
चलिए अब देखते है की आखिर सूरज में होता क्या है।
हमने पहले देखा की सूरज हमारी पृथ्वी का सबसे करीबी तारा है। सभी तारो का जन्म निहारिका (Nebula) में होता है। आप को पहले बता दूँ की निहारिका और आकाशगंगा दोनों भिन्न चीज है। निहारिका धूल और वायुओं के बदलो से बनी हुई है। निहारिका में धूल और वायुओं के प्रवाह बहते रहते है। जब उसमे किसी एक जगह पर ज्यादा द्रव्य इकठ्ठा होता है तब गुरुत्वाकर्षण बल के कारण वहाँ एक घना बादल बनता है। तारो के जन्म में गुरुत्वाकर्षण बल ही मुख्य रोल निभाता है। जिसकी बजह से यह बादल या गोला सिकुड़ के संकुचित होकर छोटा हो जाता है। इसीके साथ उसकी गर्मी और ऊष्मा भी बढ़ने लगती है और गोला चमकता हुआ दिखाई देता है। इस तरह एक reddish star ( लाल सितारा) जन्म लेता है। हमारा पूरा सौर मंडल जितना तारा आखिर में सूरज के जितना कद वाला तारा बनता है।
उदाहरण के तौर पर हम मृगशीर्ष नक्षत्र को लेते है। जिसे आप इन तस्वीरो में देख सकते है। जिसमे एक बड़ी निहारिका आई हुई है। यह निहारिका हम से 1500 प्रकाशवर्ष दूर है। जिसमे कई तारे अभी बनने की process में है। और उसके केंद्र में ऊष्मा से शुरू होने वाली परमाणु प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं हुई। उनका उष्णतामान अभी कम है और वो पाररक्त (infrared) किरणे देते रहते है।
तारे बनाने वाले ये बादल संकुचित होते वक्त कई बार टूट जाते है और अलग अलग part होकर कई बार स्वतंत्र रहकर संकुचित होने लगते है। कई बार यह सारे गोले एक दूजे के करीब रहे ऐसा भी शक्य है, तब बादल में से एक तारा बनने के बजाय तारो के जूथ बनते है। हमारा सूरज तो अकेला विहार करने वाला तारा है। लेकिन आधे से भी ज्यादा तारे जुड़वाँ है।
निहारिका में धूल और बादल का संकोचन होने से तारे का जन्म होता है।गुरुत्वाकर्षण की वजह से यह तारा और भी ज्यादा संकुचित होने लगता है। जैसे जैसे यह संकुचित होता है वैसे वैसे संकुचन के दौरान उसका उष्णतामान बढ़ने लगता है। जब उसके केंद्र का तापमान 6 करोड़ सेंटीग्रेड तक पहुँचता है, तब वहाँ परमाणुओ के संयोजन (fusion) की प्रोसेस शुरू होती है। इस process में हाइड्रोजन के परमाणु इकट्ठा होकर हीलियम वायु (gas) में रूपांतरित होता है। इस process के दौरान शक्ति , गर्मी तथा प्रकाश बहुत ही ज्यादा मात्रा में मुक्त होते है। और तारा जन्म ले तब प्रकाशित होने लगता है। और हम जानते है वैसा तारा बनता है। परमाणु process शूरा होने के बाद तारा बना, या उमरलयक हुआ एसा कह शकते है।
आप इस image में देख सकते है की कैसे हाइड्रोजन का हीलियम में रूपांतरण होता है।
अब आप को इस सवाल का जवाब मिल चुका होगा कि बिना ऑक्सीजन के सूरज कैसे जलता है।
जब की सूरज में चलती प्रक्रिया आण्वीय प्रक्रिया है। न्यूक्लियर प्रकिया (process) में दो छोटे/हलके परमाणु मिलकर एक बड़ा/भारी परमाणु बनता है या बड़े परमाणु का छोटे परमाणु में रूपांतरण होता है। जिसके दो प्रकार है।
1. जिसमे दो छोटे परमाणु मिलकर एक नया परमाणु बनता है। जो सूरज और दूसरे सितारों में कई सालो तक चलती है। जिसे न्यूक्लिअर संलयन से जाना जाता है।
2. जिसमे कोई बड़ा परमाणु टूट कर छोटे परमाणु बनते है। जो न्यूक्लिअर बम्ब में होता है। जिसका उदहारण हम जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में आज भी देख रहे है। जिसे न्यूक्लिअर विखंडन से जाना जाता है।
हम यहाँ न्यूक्लिअर संलयन की बात करेंगे। इससे पहले की हम सूरज के अंदर हो रही प्रक्रिया को समझे, पहले हम सूरज के बारे में थोडा जान लेते है।
वैसे तो हम सब जानते है कि सूरज भी एक तारा है। जैसे हम रत के आसमान में कई सारे तारे देखते है बिलकुल उसी तरह। लेकिन सूरज सारे तारो में से सबसे नजदीकी तारा है जिसकी वजह से हम उसे बड़ा पाते है। शायद आपको जानकर हैरानी होगी की सूरज से भी कई बड़े आसमान में है। लेकिन वो हमारी पृथ्वी से बहोत दूर होने के कारण हमें छोटे दिखाई देते है। सूरज और पृथ्वी के बीच की दूरी करीबन 15 करोड़ किलोमीटर है। समग्र सौर मंडल का 99.8 % mass(द्रव्यमान) अकेले सूरज के पास ही है। बाकी के 0.2% में ग्रह, उपग्रह, पुच्छल तारे, लघुग्रह आदि आते है। आप इस जानकारी से ही अंदाज लगा सकते है के हमारा सूर्य कितना भारी है।
सूरज के बारे में और जानकारी के लिए हमें पहले परमाणु के बारे में जानना होगा। परमाणु इस दुनिया का सबसे छोटा कण माना जाता है। जिसे हम अपनी आँखों से, या किसी भी प्रकार के दूरबीन व यन्त्र से नहीं देख पाते। कई वैज्ञानिको के प्रयोगों ने इसका अस्तित्व साबित किया है। जिसमे भीतर में एक छोटा से गोलीय केंद्र होता है। जिसमे धन विजभारित कण होते है जिसे हम प्रोटोन कहते है। उसी परमाणु ऋण विजभारित इलेक्ट्रोन प्रोटोन के आकर्षण के कारण परमाणु केंद्र (nucleus) के आसपास चोक्कस मार्ग पर भ्रमण करते है। इस मार्ग को कक्षा कहते है। केंद्र में जितने प्रोटोन होते है उतने ही इलेक्ट्रोन केंद्र क आसपास भ्रमण करते है।
हम जानते है की सामान विजभार (charge) के बीच अपकर्षण होता है। जिससे दोनों कण एक दूसरे से दूर जाते है। इसीलिए केंद्र में दूसरे प्रोटोन के आने से दोनों प्रोटोन एक दूसरे से दूर जाएंगे। और परमाणु केंद्र में असंतुलन स्थापित होगा। इसीलिए प्रोटोन को जकड़े रखने के लिए केंद्र में न्यूट्रॉन नाम के कण भी होते है। जिसका कोई विजभार नहीं होता।
In short, परमाणु कुछ इस प्रकार का है।
परमाणु के केंद्र में रहे प्रोटोन की संख्या को परमाणु क्रमांक कहते है। परमाणु में प्रोटोन की संख्या उसकी लाक्षणिकता दर्शाता है। यानी की प्रोटोन की संख्या बदलने से तत्व बदल जाएगा।
जैसे की केंद्र में एक प्रोटोन है तो परमाणु क्रमांक 1 होगा। जो हाइड्रोजन (hydrogen) है। केंद्र में एक और प्रोटोन डालने से प्रोटोन की संख्या 2 हो जाएगी। जिससे वो तत्त्व हीलियम (हीलियम) बन जाएगा। एक प्रोटोन और डालने से प्रोटोन की संख्या 3 हो जाएगी। यानी की परमाणु क्रमांक 3 होगा। जिससे वो लिथियम (lithiyum) हो जाएगा। लेकिन जितना हम सोचते है ये उतना आसान नहीं है। इसके लिए ऊँचा तापमान और दबाव चाहिए।
जब प्रोटोन निम्न या कम तापमान और कम वेग से एक दूसरे के नजदीक आते है, तब दोनों प्रोटोन समान विजभारित होने के कारण एक दूसरे से दूर जाते है। यह जो बल इन प्रोटोन को मिलता है वह विधुत चुम्बकीय बल है। लेकिन जब उच्च तापमान और वेग से एक दूसरे के करीब आते है तब परिणाम स्वरुप दोनों अलग अलग परमाणु केंद्र एक हो जाते है। और उससे भारी तत्त्व बनता है। और बहुत ही ज्यादा मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न करता है। जिसे आप नीचे दी गई image से समझ पाओगे।
ड्यूटेरियम और ट्रिटियम हायड्रोजन का समस्थानिक है।
जिन तत्वों के परमाणु में प्रोटोन की संख्या सामान हो लेकिन न्यूट्रॉन की संख्या भिन्न हो उसे समस्थानिक कहते है।
यह process सूरज के भीतर होती है। जिससे hydrojan का helium में रूपांतरण होता है। इस प्रक्रिया में प्रचंड उर्जा उत्पन्न होती है।
चलिए अब देखते है की आखिर सूरज में होता क्या है।
हमने पहले देखा की सूरज हमारी पृथ्वी का सबसे करीबी तारा है। सभी तारो का जन्म निहारिका (Nebula) में होता है। आप को पहले बता दूँ की निहारिका और आकाशगंगा दोनों भिन्न चीज है। निहारिका धूल और वायुओं के बदलो से बनी हुई है। निहारिका में धूल और वायुओं के प्रवाह बहते रहते है। जब उसमे किसी एक जगह पर ज्यादा द्रव्य इकठ्ठा होता है तब गुरुत्वाकर्षण बल के कारण वहाँ एक घना बादल बनता है। तारो के जन्म में गुरुत्वाकर्षण बल ही मुख्य रोल निभाता है। जिसकी बजह से यह बादल या गोला सिकुड़ के संकुचित होकर छोटा हो जाता है। इसीके साथ उसकी गर्मी और ऊष्मा भी बढ़ने लगती है और गोला चमकता हुआ दिखाई देता है। इस तरह एक reddish star ( लाल सितारा) जन्म लेता है। हमारा पूरा सौर मंडल जितना तारा आखिर में सूरज के जितना कद वाला तारा बनता है।
उदाहरण के तौर पर हम मृगशीर्ष नक्षत्र को लेते है। जिसे आप इन तस्वीरो में देख सकते है। जिसमे एक बड़ी निहारिका आई हुई है। यह निहारिका हम से 1500 प्रकाशवर्ष दूर है। जिसमे कई तारे अभी बनने की process में है। और उसके केंद्र में ऊष्मा से शुरू होने वाली परमाणु प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं हुई। उनका उष्णतामान अभी कम है और वो पाररक्त (infrared) किरणे देते रहते है।
तारे बनाने वाले ये बादल संकुचित होते वक्त कई बार टूट जाते है और अलग अलग part होकर कई बार स्वतंत्र रहकर संकुचित होने लगते है। कई बार यह सारे गोले एक दूजे के करीब रहे ऐसा भी शक्य है, तब बादल में से एक तारा बनने के बजाय तारो के जूथ बनते है। हमारा सूरज तो अकेला विहार करने वाला तारा है। लेकिन आधे से भी ज्यादा तारे जुड़वाँ है।
निहारिका में धूल और बादल का संकोचन होने से तारे का जन्म होता है।गुरुत्वाकर्षण की वजह से यह तारा और भी ज्यादा संकुचित होने लगता है। जैसे जैसे यह संकुचित होता है वैसे वैसे संकुचन के दौरान उसका उष्णतामान बढ़ने लगता है। जब उसके केंद्र का तापमान 6 करोड़ सेंटीग्रेड तक पहुँचता है, तब वहाँ परमाणुओ के संयोजन (fusion) की प्रोसेस शुरू होती है। इस process में हाइड्रोजन के परमाणु इकट्ठा होकर हीलियम वायु (gas) में रूपांतरित होता है। इस process के दौरान शक्ति , गर्मी तथा प्रकाश बहुत ही ज्यादा मात्रा में मुक्त होते है। और तारा जन्म ले तब प्रकाशित होने लगता है। और हम जानते है वैसा तारा बनता है। परमाणु process शूरा होने के बाद तारा बना, या उमरलयक हुआ एसा कह शकते है।
आप इस image में देख सकते है की कैसे हाइड्रोजन का हीलियम में रूपांतरण होता है।
अब आप को इस सवाल का जवाब मिल चुका होगा कि बिना ऑक्सीजन के सूरज कैसे जलता है।
Nice answer
ReplyDeleteThank you
DeleteNaOH ko dilute kasia karte he
ReplyDeleteHow can change H2O into CO2
ReplyDeleteWe need CH4
DeleteThank u
ReplyDeleteKuch samaj me aaya kya..
ReplyDeleteJankari achha tha,thanks
ReplyDeleteBlogger pe apna account banaie
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