Neutron Star in hindi
←न्यूट्रॉन स्टार
स्टार यानी सितारा या तारा। हम सब को, खास कर बच्चों को रात के अंधेरे में टिमटिमाते तारो को देखना बहुत भाता है। लेकिन ये न्यूट्रॉन स्टार क्या है? इसके बारे में जानने से पहले हमें तारो के बारे में थोड़ी सी जानकारी की जरूरत पड़ेगी। यदि आप जानते है तारे कैसे बनते है तो फिर बढ़िया है। यदि नही जानते, तो फिर चलिए , जान लेते है इस बारे में भी।
जैसे कि हम सब जन्म लेते है और मरते है वैसे तारे भी जन्म लेते है, और मरते है। लेकिन है तो निर्जीव ही। तारो का जन्म निहारिका (nebula) में होता है। निहारिका धूल और वायु के बादलों की बनी होती है। निहारिकामे धूल और वायु के प्रवाह बहते ही रहते है। किसी एक जगह पर ज्यादा मात्रा में द्रव्य इकट्ठा हो जाए , तब गुरुत्वाकर्षण की वजह से वहां एक घना बादल बनता है। गुरुत्वाकर्षण के कारण सारे द्रव्य के बने बादलो का संकोचन होता है और साथ साथ उसकी गर्मी तथा ऊष्मा भी बढ़ने लगती है। यह गोला धुंधला सा चमकने लगता है। और एक आदि तारा का जन्म होता है।
अब यह तारा कितने साल जिएगा , यह उसके निर्माण के वख्त बने द्रव्य का प्रमाण, यानी कि उसके द्रव्यमान (mass) पर निर्भर होता है। अरबो साल तक यह तारे जीते है। और हमे ऊष्मा तथा प्रकाश देते रहते है।
अब सालो तक तारे हमे ऊष्मा और प्रकाश कैसे देते है, इस बारे में जानने के लिए बिना ऑक्सीजन के सूरज कैसे जलता है? इस लिंक पर क्लिक कीजिए।
तारा जितना छोटा उतना उसका जीवनचक्र ज्यादा। जितना तारा बड़ा, उतना उसे अपने ईंधन का ज्यादा इस्तेमाल करना होता है। जिसकी वजह से बड़े तारो की आयु कम होती है।
हमारे सूरज से कम कद वाले तारे की आयु ज्यादा होती है। हमारे सूरज जैसे तारे अपनी अंतिम अवस्थामे जैसे उसका ईंधन खत्म होता है वैसे उसका केंद्र ज्यादा गर्म होता जाता है। और बाह्य स्तर की और फैलता है और ठंडा व लाल बनता है। एक महाकाय स्वरूप धारण करता है । जिन्हें हम रेड जायंट कहते है। सूरज जैसे तारे जब रेड जायंट बन जाते है तब वे अस्थिर बन जाते है और प्रसरण - संकोचन होते रहते है। इस दौरान उसके बाहर के स्तर मुक्त होके तारे के आसपास एक अंगूठी जैसे आकार के बादल -निहारिका की रचना करते है। इसीके साथ तारे का अंदर का गर्भ संकुचित होकर 'श्वेत वामन तारा' - White Dwarf की रचना करते है। हमारे सूरज से कई गुना बड़े तारे अंत मे ब्लैक होल बनते है।
कई तारे जो सूरज से 1दस, बिस या सो गुना वजनदार होते है वो सूरज से ज्यादा जल्दी जलता है , और प्रकाश देता है। ऐसे तारो का जीवन चक्र समाप्त होते ही उनके बाह्य स्तर अवकाश में फेंके जाने पर उसमे से निहारिका की रचना होती है, जब कि अंदर का भाग संकुचित होकर बड़ी घनता वाला छोटे से तारे का निर्माण करती है। जिसे न्यूट्रॉन स्टार कहते है।
जैसे कि हम सब जन्म लेते है और मरते है वैसे तारे भी जन्म लेते है, और मरते है। लेकिन है तो निर्जीव ही। तारो का जन्म निहारिका (nebula) में होता है। निहारिका धूल और वायु के बादलों की बनी होती है। निहारिकामे धूल और वायु के प्रवाह बहते ही रहते है। किसी एक जगह पर ज्यादा मात्रा में द्रव्य इकट्ठा हो जाए , तब गुरुत्वाकर्षण की वजह से वहां एक घना बादल बनता है। गुरुत्वाकर्षण के कारण सारे द्रव्य के बने बादलो का संकोचन होता है और साथ साथ उसकी गर्मी तथा ऊष्मा भी बढ़ने लगती है। यह गोला धुंधला सा चमकने लगता है। और एक आदि तारा का जन्म होता है।
अब यह तारा कितने साल जिएगा , यह उसके निर्माण के वख्त बने द्रव्य का प्रमाण, यानी कि उसके द्रव्यमान (mass) पर निर्भर होता है। अरबो साल तक यह तारे जीते है। और हमे ऊष्मा तथा प्रकाश देते रहते है।
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तारा जितना छोटा उतना उसका जीवनचक्र ज्यादा। जितना तारा बड़ा, उतना उसे अपने ईंधन का ज्यादा इस्तेमाल करना होता है। जिसकी वजह से बड़े तारो की आयु कम होती है।
हमारे सूरज से कम कद वाले तारे की आयु ज्यादा होती है। हमारे सूरज जैसे तारे अपनी अंतिम अवस्थामे जैसे उसका ईंधन खत्म होता है वैसे उसका केंद्र ज्यादा गर्म होता जाता है। और बाह्य स्तर की और फैलता है और ठंडा व लाल बनता है। एक महाकाय स्वरूप धारण करता है । जिन्हें हम रेड जायंट कहते है। सूरज जैसे तारे जब रेड जायंट बन जाते है तब वे अस्थिर बन जाते है और प्रसरण - संकोचन होते रहते है। इस दौरान उसके बाहर के स्तर मुक्त होके तारे के आसपास एक अंगूठी जैसे आकार के बादल -निहारिका की रचना करते है। इसीके साथ तारे का अंदर का गर्भ संकुचित होकर 'श्वेत वामन तारा' - White Dwarf की रचना करते है। हमारे सूरज से कई गुना बड़े तारे अंत मे ब्लैक होल बनते है।
कई तारे जो सूरज से 1दस, बिस या सो गुना वजनदार होते है वो सूरज से ज्यादा जल्दी जलता है , और प्रकाश देता है। ऐसे तारो का जीवन चक्र समाप्त होते ही उनके बाह्य स्तर अवकाश में फेंके जाने पर उसमे से निहारिका की रचना होती है, जब कि अंदर का भाग संकुचित होकर बड़ी घनता वाला छोटे से तारे का निर्माण करती है। जिसे न्यूट्रॉन स्टार कहते है।
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