ISRO वर्ल्ड रिकॉर्ड

ISRO बनायेगा वर्ल्ड रेकॉर्ड


इंडियन स्पेस एजेंसी ISRO  अपना वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की तैयारी कर रहा है। जी हां, ISRO की पिछले कुछ सालों की सफलता आसमान को छू रही है। भारत शुरुआत में अवकाशीय संसोधन में बहुत पीछे था। लेकिन डॉ. विक्रम साराभाई, डॉ. या. पी. जे. अब्दुल कलाम, डॉ. ब्रह्मप्रकाश , वी. एस. नारायण , प्रो. सतीश धवन जैसे कई वैज्ञानिक और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जैसे कई लोगो के अथाक परिश्रम से आज भारत भी अपने आपको साबित करने में पीछे नहीं। जिसमे ISRO का बहुत बड़ा योगदान है। 

कुछ महीने पहले ISRO के चेयरमैन श्री ऐ. एस. किरण कुमार ने यह खबर दुनिया के सामने राखी यही की 2017 के जनवरी माह के शुरुआत में ISRO 83 सैटेलाइट्स एक राकेट से पृथ्वी की कक्षा में प्रक्षेपित करेगा और वो भी एक बार में। जो वर्ल्ड रिकॉर्ड बन जायेगा। जिसमे से 3 बड़े उपग्रह भारत के और बाकि के 80 विदेशी उपग्रह जो नैनो सैटेलाइट्स रहेंगे। पर अब ISRO से यह खबर मिली है कि जो 83 सैटेलाइट्स जनवरी में भेजने वाले थे अब उसे फरवरी के पहले सप्ताह में भेजे जाएंगे और वो भी 20 और सैटेलाइट्स के साथ। मतलब 103 उपग्रह एक ही बार में एक ही राकेट से। 

ISRO के लिए एक साथ कई उपग्रह को प्रक्षेपित करना कोई नई बात नहीं है। यह पहले भी कई बार ऐसा कर चुका है। आखिर में 22 जून, 2016 को इसरो द्वारा 20 उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक भेजा गया था। जिसमे  सत्यभामा सैट, स्वयम, कार्टोसैट भारतीय उपग्रह और बाक़ी के कनाडा, जर्मनी, यु. एस., और इंडोनेशिया जैसे देश के उपग्रह सामिल थे। जिसके लिए ISRO ने PSLV C34 राकेट का उपयोग किया था। 

इस बार ISRO 103 उपग्रह को एक ही राकेट से प्रक्षेपण करेगा। जिसके लिए वह PSLV XL राकेट का उपयोग करेगा । जो करीबन 1600 किलो का वजन ले जा सकता है । करार को दर्शाते हुए शशिभूषण ने क्लाइंट्स के नाम बताने के लिए इनकार किया है। उन्होंने बताया कि कुछ सैटेलाइट्स उन क्लाइंट्स की ओर से है जिनके सैटेलाइट्स ISRO पहले भी पृथ्वी की कक्षा में भेज चूका है। 

इस बीच, ISRO उसके अपने अति कम उष्णतामान वाले इंजन के साथ अधिकतम उचाई कसौटी कर रहा है जो भारी रॉकेट GSLVMK ||| की शक्ति की आशा कर रहा है।  GSLVMK कतरीबन 4 टन का भार ले जाने के लिए सक्षम है। 

GSLV MK ||| रॉकेट से कीमती विदेशी एक्सचेंज को भारत के लिए बचाने की आशा की जा रही है जो विदेश की स्पेस एजेंसी से भारी उपग्रह लॉन्च के लिए चुकाई है।

अधिक में ISRO के चेयरमैन किरण कुमार ने बताया कि एजेंसी 4 टन के कम्युनिकेशन सैटेलाइट्स में और सुधार करने के लिए देख रही है जो 6 टन की तरह आउटपुट देगा। 

जैसे की ISRO ने पहले भी 83 सैटेलाइट्स में सैटेलाइट्स कौन से देश से है यह जाहिर नहीं किया था इस बार भी ISRO ने उन देशों के बारे में कुछ नहीं बताया। पर सोमनाथ ने यह बताया कि वह यु. एस. , जर्मनी जैसे देशों से है। 

सोमनाथ ने अधिक जोड़ते हुए बताया कि इसमें 100 माइक्रो स्मॉल सैटेलाइट्स है, जिसे लॉन्च करने के लिए PSLV C37 रॉकेट का इस्तेमाल किया जायेगा। जो 1350 kg भारी है, जिसमे 500-600 kg सैटेलाइट्स का है।


यह लॉन्च देश के लिए किसी वीरता के कार्य से कम नहीं है, क्योंकि इससे पहले इस प्रकार की कोई भी तालीम नहीं हुई। सबसे ज्यादा सैटेलाइट्स लॉन्च करने का रिकॉर्ड रशिया के पास है जिसने 39 रॉकेट्स एक ही बार में भेजे थे। 

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